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देश में मानवतावादी( इंसानियतवादी ) समाज बनाने के लिए भारतीय संविधान में समता ,स्वतंत्रत्रता ,बन्धुत्व ,न्याय , मानवीय गरिमा पर आधारित तार्किक और वैज्ञानिक ,पंथनिरपेक्ष ,समाजवादी, ढांचे वाली संकल्पना बाबा साहेब अंबेडकर और संविधान सभा के द्वारा की गयी थी । जिसमे जाति , धर्म ,लिंग ,क्षेत्र , भाषा के आधार पर संविधान किसी के साथ कोई भेदभाव नही करेगा । संविधान के अनुसार यही अपेक्षा राज्य की संस्थाओं को चलाने वाले लोगो से भी की गई थी । बाबा साहेब के अनुसार कोई भी संविधान कागज का टुकड़ा ही होता है अगर उसको चलाने वाले लोग अच्छे होंगे तो संविधान अच्छा कार्य करेगा और अगर चलाने वाले लोग अच्छे नही होंगे तो संविधान अच्छी तरह कार्य नही कर पायेगा । आइए हम लोग बाबा साहेब के सपने के अनुसार भारत बनाने वालों को मजबूत करके ,आडम्बर ,अंधविस्वास ,पाखंड ,चमत्कार के विचारों को तिलांजलि देकर समता ,स्वतन्त्रता,बन्धुत्व ,न्याय , मानवीय गरिमा , वैज्ञानिक ,तार्किक विचारों वाला मानवतावादी समाज बनाने का संकल्प ले । एक समावेशी भारत बनाने के लिए संकल्प ले । पहले भी भारतीय और अंत मे भी भारतीय इसके अलावा कुछ भी नही का संकल्प ले । मानवीय मूल्यों वाला एक बेहतरीन भारत बनाने के लिए संकल्प ले । बाबा साहेब अंबेडकर के सपनो का भारत बनाने का संकल्प ले । इसी के साथ बाबा साहेब के संघर्ष को सलूट करते हुए ।। लख लख वंदन ।। जय भीम, जय भारत ।। वंदे भारतम ।।